आलेख – नवीन मिश्रा
सिंगरौली : सरई तहसील में एपीएमडीसी के सुलियरी कोल ब्लॉक में कोयला परिवहन कर रहे ट्रांसपोर्टर ड्राइवर का प्रतिदिन शोषण कर रहे हैं। कम पैसों में ड्राइवर से 12 से 15 घंटे तक काम लिया जा रहा। शोषण के खिलाफ आवाज उठाने वाले मजदूरों को कम से निकलने के लिए धमकी दी जाती है। वही श्रम विभाग ट्रांसपोर्टरों के अत्याचारों को लेकर संजीदा नजर नहीं आ रहा।
सूत्रों की माने तो वैराशिटी कोल ट्रांसपोर्टर का कर्ताधर्ता शुक्ला प्रतिदिन ड्राइवरों का शोषण कर रहा है, एपीएमडीसी कोयल का ट्रांसपोर्ट कर रही कंपनी लगातार श्रम कानून की अनदेखी कर रही है। कंपनी आए दिन मजदूरों के अधिकारों के उल्लंघन, खराब कार्य स्थितियों, और सुरक्षा नियमों को ताक पर रखकर कोयले का परिवहन कर रहीं हैं।
आउटसोर्स ठेकेदारों पर मजदूरों को उचित वेतन, लाभ, और सुरक्षा के बिना काम करवाने के आरोप अक्सर लगते रहे हैं। सुलियरी कोल ब्लॉक से बधौरा पावर प्लांट में सड़क के जरिए कोयले का परिवहन का काम करने वाली वैराशिटी कोल ट्रांसपोर्टर मनमानी पर उतारू है। शायद उसके लिए श्रम कानून महज एक कागज का टुकड़ा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वैराशिटी कोल ट्रांसपोर्टर वाहन चालकों से 12 से 14 घंटे तक काम करवाने के लिए मजबूर कर रही है। वही यदि वाहन चालक अपने अधिकारों के लिए कहीं शिकायत करते हैं तो उन्हें काम से निकाल दिया जाता है। ऐसे में वाहन चालक यह जानते हुए कि उनका शोषण हो रहा है मन मार कर काम करने को मजबूर है।
श्रम कानून पर भारी पड़ रहे शुक्ला जी
सूत्रों का दावा है कि वैराशिटी कोल ट्रांसपोर्टर के कर्ताधर्ता शुक्ला जी श्रम कानून से भी ऊपर खुद को रखते हैं। उनके लिए श्रम कानून एक कागज के टुकड़े में लिखे नियम कायदे हैं जो उनके कामों पर लागू नहीं होते। उन्हीं की देखरेख में मजदूरों और वाहन चालकों को कम वेतन देखकर काम कराया जाता है। इतना ही नहीं कम वेतन में भी चालकों से 12 से 14 घंटे काम ले रहे हैं। नींद पूरी नहीं होने और थकान से शारीरिक और मानसिक क्षमता कम हो जाती है, जिससे ड्राइवर के लिए सुरक्षित रूप से गाड़ी चलाना मुश्किल हो जाता है. और जिस सड़क हादसे भी अक्सर देखने को मिलता है।