सिंगरौली। नगर पालिक निगम सिंगरौली में कचरा का उठाव करने वाली सिटाडेल कंपनी की मुश्किलें बढ़ती जा रही है। परिषद की बैठक में पार्षदों ने आयुक्त से सवाल किया कि सिटाडेल कंपनी एग्रीमेंट का पालन क्यों नहीं किया, ग्रीन बेल्ट क्यों नहीं डेवलप किया, प्रतिदिन 10 टन कचरा का संग्रहण करने की जिम्मेदारी दी गई है लेकिन 30 टन कचरा प्रतिदिन संग्रहण कर रही है। पार्षद के सवालों का जवाब देने में आयुक्त के पसीने छूटने लगे।
अपने आप को बचाने के लिए आयुक्त ने महापौर को दोषी बता दिया और कहा कि सिटाडेल गलत कर रहा है तो फाइल महापौर के पास जाती है। उन्हीं के सिग्नेचर से भुगतान होता है लेकिन परिषद में जिस तरीके से सिटाडेल कंपनी को घेरा गया है ऐसे में कंपनी जांच के दायरे में आ गई है। जिसका निरीक्षण के साथ-साथ जांच करने की भी बात सामने आ रही है।
गौरतलब हो कि स्वच्छता पर काम करने वाली सिटाडेल कंपनी अब पूरी तरीके से कटघरे में खड़ी होती नजर आ रही है उसकी सबसे बड़ी वजह यह बताई जा रही है कि नगर पालिक निगम सिंगरौली के परिषद बैठक लगभग चार बार स्वच्छता को ही लेकर पार्षदों ने सवाल खड़ा किया। पार्षदों ने कहा की सीटा डेल कंपनी घर-घर कचरा संग्रहण नहीं कर पा रही है। पार्षदों ने कहा कि दो-तीन वार्ड मिलकर एक कचरा वाहन चल रहा है कभी कचरा वाहन आता है और कभी-कभी नहीं आता है कई बार इस संबंध में कमिश्नर से भी शिकायत की गई।
पार्षद प्रेम सागर मिश्रा ने नगर निगम के अधिकारियों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सीटाडेल कंपनी को लेकर अधिकारी कहते हैं कि कंपनी के पास घर-घर कचरा संग्रहण करने के लिए 75 कचरा बाहर उपलब्ध है और तीन मृत्य मवेशियों को उठाने के लिए वाहन है। इस तरह की जानकारी नगर निगम के अधिकारियों ने पार्षदों के सवाल पर जवाब दिए। जब इतने वाहन कंपनी के पास उपलब्ध है तो फिर शहर का कचरा संग्रहण करने में आखिर कंपनी क्यों हीला हवाली कर रही है। पार्षदों ने कहा कि सीटाडेल कंपनी का बचाव नगर निगम के अधिकारी करते हैं क्योंकि 10 प्रतिशत का मामला फंस रहा है।
पार्षदों के इस आरोप के बाद नगर निगम आयुक्त आवेश में आ गए और परिषद में ही पार्षदों और महापौर पर सवाल खड़ा कर दिया। आयुक्त ने कहा कि अगर मैं किसी पर कार्यवाही कर दूं तो दोषी हो जाता हूं। तब यही पार्षद बचाव में उतर आते हैं और सीटाडेल कंपनी की फाइल महापौर के पास से आती है अगर फाइल ना भेजें तो भुगतान नहीं होगा। आखिर मैं कैसे अकेले दोषी हो गया।
सिटाडेल ने कई करोड़ का हुआ भ्रष्टाचार
परिषद बैठक में वार्ड क्रमांक 42 पार्षद संतोष ने सिटाडेल पर एमयू (एग्रीमेंट) पालन नहीं करने के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि बुडकुर गांव सिटाडेल को 2800 मीटर एरिया में ग्रीन बेल्ट डेवलप करना था जिसके लिए 25 मैनपॉवर भी लगते थे। लेकिन जिम्मेदारों ने एक भी मीटर एरिया में पेड़ पौधे नहीं लगाएं। हां ग्रीन बेल्ट डेवलप करने के लिए मिली करीब 9 करोड रुपए बिना काम किया ही निकाल लिए। सूत्रों का दावा है कि इस भ्रष्टाचार में नगर निगम अधिकारी बराबर की जिम्मेदार हैं। हालांकि आयुक्त डीके शर्मा भी अपने अधिकारियों पर लगाम करने में असमर्थता दिखा चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है इस भ्रष्टाचार पर लगाम कैसे लगेगा।
महापौर और आयुक्त आमने-सामने
सिटाडेल द्वारा व्यापक पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार के आरोपी के बीच अब महापौर और आयुक्त आमने-सामने है। लेकिन सवाल अभी भी यही है कि आखिर जिम्मेदारों ने 3 साल तक सिटाडेल और नगर निगम के बीच हुए एमयू ( एग्रीमेंट) का पालन क्यों नहीं करवा पाए। बिना काम के ही भुगतान कैसे होता रहा। सूत्रों का दावा है कि भोपाल स्तर के एक नेता के दबाव के चलते आयुक्त और महापौर गियर में आ गए और सिटाडेल बिना काम किया भुगतान लेट रहा।