आलेख – कमलेश पांडेय
सिंगरौली।कहते हैं कि समय सबका बदलता है समय ही वह चक्र है जो कब किसको अर्श से फर्श और फर्स से अर्श तक पहुंचा दे कहां नहीं जा सकता, किस्मत कब किसकी बदल जाए यह समय पर ही टिका है. एक महिला के साथ भी ऐसा हुआ जो मजदूरी करते-करते इस गांव की सरपंच बन गई। हालांकि की सरपंच बनने के बाद भी वह कभी गड़रिया में रुकी नही।
गड़रिया निवासी सुनीता खैरवार ने सरपंच पद का चुनाव लड़ने के लिए दस्तावेजों के साथ निवास प्रमाण पत्र बनवाने, और झूठी जानकारी देकर चुनाव लड़ने और जीतने की शिकायत सही होने की शिकायत की गई है। सरपंच ने कहा मैं चौथी तक पढ़ी हूं लेकिन इबादत नहीं पड़ सकती। और ना ही आवेदन कर सकती। यहां वोटर लिस्ट में मेरा नाम और राशन कार्ड भी था, जिसमें गल्ला मिलता है। बता दें कि सुनीता खैरवार पति गोपाल खैरवार उम्र 30 वर्ष निवासी ग्राम भर्रा तहसील देवसर मैं शादी हुई थी लेकिन ससुराल तेल्दह में ही अधिकतर रहती थी। जबकि गडरिया में जहां की सरपंच बनी वहां कभी रुकी ही नहीं और ना ही वहां कुछ है। पेशा एक ईटा प्लांट में मजदूरी करती हैं, जहां ईटा प्लांट के मालिक अरविंद शाह ने तेलदह निवासी सुनीता का नाम गडरिया पंचायत में भी लिखवा दिए। वहीं निवास, जाति प्रमाण पत्र, बीपीएल और वोटर लिस्ट में नाम जुड़ गया। वही राशन भी मिलने लगा। हैरानी यह भी है कि तीन ग्राम पंचायत में नाम जुड़ा होने की चर्चा है।
पूर्व सरपंच के बेटे का कारनामा
चर्चा हैं कि एक महिला मजदूर सुनीता के पीछे किसका हाथ है जो उसका इतना भला किया और सरपंच बना दिया। साल 2018 में गडरिया गांव की सरपंच जीर मती थी। उस समय सरपंच पुत्र अरविंद के ईटा प्लांट मे तेल्दह की रहने वाली सुनीता लेबर का काम करती थी, इस बीच अरविंद संपर्क में आया और उसका सरकारी दस्तावेज बनाकर पैसों के दम पर चुनाव जितवा लिया।
सरपंच बनने के बाद कभी नही रूकी गडरिया
हालांकि सुनीता कभी गडरिया गांव में सरपंच बनने के बाद रुकी नहीं। सरपंच बनने के बाद पंचायत में आवास के लिए सुरक्षित जमीन खसरा क्रमांक 133 और 134 पहले से सुरक्षित था इस आराजी नंबर पर सरपंच बनने के बाद घर निर्माण शुरू हुआ लेकिन उसमें स्टे लगा दिया गया। शिकायतकर्ता ने कहा कि यह स्टील लगा होने के बाद भी मकान का निर्माण कार्य होता रहा और करीब एक महीने पहले मकान में छठ पड़ा है। इसकी जांच टेक्निकल आदमी करे तो खुलासा होगा।