सिंगरौली 29 जनवरी। सिंगरौली जिले में एक ऐसा पटवारी है जो SDM व तहसीलदार पर हुकम चलाता है बजह राजनैतिक संरक्षण। मजाल है कि कोई SDM तहसीलदार उसकी मर्जी के बिना कोई हिमाकत कर दें अगर किए भी तो ऊपर से आकाओ का फोन आ गया। फिर क्या अधिकारी भी सुन्न पड़ जाते हैं । आज हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ही पटवारी का जो सभी अधिकारियों पर भारी है।
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सिंगरौली नगरीय तहसील क्षेत्र के एक हल्का पटवारी एसडीएम एवं तहसीलदार पर भारी पड़ रहा है। उसके कारगुजारियों को देख तहसीलदार ने करीब एक साल के अधिक समय से पटवारी पर कड़ी कार्रवाई के लिए एसडीएम के यहां पत्राचार किया है। लेकिन यह नस्ती कहां दब गयी है और एसडीएम किसके दबाव में हैं यह अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। मामला भूमि नामांतरण में गड़बड़झाला किये जाने के संबंध से जुड़ा हुआ है।
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दरअसल सिंगरौली नगरीय क्षेत्र के कुछ हल्का पटवारी भूमियों के नामांतरण में व्यापक पैमाने पर वसूली कर रहे हैं। बिना भारी भरकम रकम के यदि किसी भी क्रेता की भूमि का नामांतरण हो जाय तो उस पर कोई यकीन नहीं करेगा। मुहेर से लेकर कचनी समेत आस-पास के कई ऐसे हल्का पटवारी हैं जिन पर भूमि के नामांतरण,बटनवारा, पुल्ली फाट व अन्य में जमकर काश्तकारों से वसूली किये जाने के आरोप हैं। इसकी कई बार शिकायतें भी हुई लेकिन रसूखदार पटवारियों के आगे स्थानीय राजस्व अधिकारी भी बेवश नजर आते हैं। ऐसा ही मामला कचनी पटवारी हल्का का है। जहां एनसीएल अमलोरी परियोजना के अधीन हो गयी है। हालांकि अभी मुआवजा वितरण नहीं किया था और न ही भूमि नोटिफाईड हो पायी है। किन्तु एनसीएल अमलोरी परियोजना संबंधित गांव के भूमि आराजी को अपने अधीन माना है।
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हैरानी की बात है कि हल्का पटवारी ने खुद नामांतरण करने से इंकार किया था और इसमें इस बात का जिक्र भी करते हुए तहसीलदार के यहां नामांतरण के लिए नस्ती प्रस्तुत किया था। तहसीलदार के साथ-साथ एसडीएम ऋषि पवार ने भी तहसीलदार तहसील सिंगरौली नगरीय के आदेश 20 जुलाई 2019 के आदेश को यथावत रखने का फरमान सुनाया था। किन्तु वही हल्का पटवारी ने उक्त क्रय भूमि का नामांतरण खसरे में दर्ज कर दिया है। जिसको लेकर पटवारी की संदिग्ध कार्यप्रणाली अब धीरे-धीरे जगजाहिर होने लगी है। जिस पर तहसीलदार ने पटवारी के क्रियाकलाप को देख कड़ी कार्रवाई किये जाने के लिए एक साल के अधिक समय से प्रस्ताव भी दिया है।
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