सिंगरौली। दोपहर को हैवी ब्लास्टिंग के चलते शहर दहल उठा। पल भर के लिए लोगों की सांसें हलक पर अटक गई। लेकिन एनसीएल सहित निजी कंपनियां लोगों की जिंदगी को दांव पर लगाकर कोयल खनन में लगी हुई है। यह कोई पहली मर्तबा हैवी ब्लास्टिंग नहीं हुई है जब घर धराशाई हुए है। इसके पहले भी कई हैवी ब्लास्टिंग से न केवल घर धराशाई हो गए बल्कि घरों में दबने से कई लोगों की मौत भी हो चुकी है। लेकिन जिम्मेदार इन हादसों से कोई सबक नहीं ले रहा।
गौरतलब है कि शुक्रवार की दोपहर करीब 2 बजे खदानों में एक के बाद एक पांच बार हैवी ब्लास्टिंग से खदान से लगे गांव सहित पूरा बैढ़न शहर दहल उठा। लोग जब तक समझ पाए एक के बाद एक धमाकों से लोगों की पल भर के लिए सांसे थम गई। लोग अपने घरों से निकलकर खुले आसमान में खड़े हो गए। लोग एक दूसरे से भूकंप की बातें कहने लगे लेकिन ब्लास्टिंग की आवाज सुनकर लोग समझ गए कि यह कोयला खदानों की ब्लास्टिंग है।
कोयला खनन में लगी कंपनियों निर्धारित मापदंडों से अधिक ब्लास्टिंग करके अधिक से अधिक कोयला निकलने में लगी है। हैवी ब्लास्टिंग से लोगों कि समस्याओं से कंपनियों को कोई लेना देना नहीं। तो वही जिला प्रशासन और कंपनियां हैवी ब्लास्टिंग को लेकर बिल्कुल संजीदा नहीं नजर आ रहे। यही वजह है कि कंपनियां अधिक कोयला खनन के लिए निर्धारित मापदंडों से ज्यादा बारूद डालकर हैवी ब्लास्टिंग कर रहे हैं।
आधा दर्जन से ज्यादा गांव हो रहे प्रभावित
एनसीएल और रिलायंस की कोल खदानों में होने वाले विस्फोट से आसपास के आधा दर्जन गांव प्रभावित हो रहे हैं। वैसे तो विस्फोट का प्रभाव पूरे 12 किलोमीटर की दूरी को प्रभावित कर रहा है लेकिन आसपास के गांव जो कंपनी के आसपास हैं वह ज्यादा ही प्रभावित हो रहे हैं। बताया जाता है कि रिलायंस व एनसीएल की ओर से कोयला निकाली के लिए की जाने वाली मुहेर और अमलोरी की खदानों में होने वाली ब्लास्टिग से नौगढ़, भकुआर, मुहेर,अमलोरी,परसौना,देवरी, कचनी, दसोती, भरूहा,अमझर,नंदगांव व नवानगर सहित कई क्षेत्र प्रभावित हैं। इन गांवों के अलावा और कई दूसरे गांव में भी विस्फोट का असर है लेकिन खदानों के नजदीक वाले गांव ज्यादा ही प्रभावित हैं।
दो घंटे के लिए हो जाते हैं बेघर
स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रतिदिन दोपहर को रुक रुक कर ब्लास्टिंग होती है। ब्लास्टिंग से उनमें इस कदर दहशत रहती है कि वह दोपहर में डेढ़ से दो घंटे घर के बाहर ही बिताते हैं। ग्रामीणों का कहना की सबसे अधिक परेशानी तो बारिश के समय होती है। दोपहर को बारिश होने के बाद भी हैवी ब्लास्टिंग के डर से घर के बाहर रहने को मजबूर है। इतना ही नहीं ब्लास्टिंग से घरों में दरारें पढ़ने की वजह से ग्रामीण अपने मकान में सिंगल स्टोरी तक ही सीमित रखते हैं। हैवी ब्लास्टिंग को लेकर कई बार स्थानीय लोग अपनी आवाज को जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तक पहुंचाया है। इसके बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कंपनी प्रशासन पर नकेल कसने में लापरवाही दिखा रहे हैं। यही वजह है कि क्षेत्र की जनता को इस हैवी ब्लास्टिंग से राहत नहीं मिल पा रही है।
एक के बाद एक पांच हुए धमाके
शुक्रवार की दोपहर तकरीबन 2:04 पर इतनी तेज ब्लास्टिंग हुई कि एक पल के लिए लगा कि भूकंप आ गया है। लेकिन ब्लास्टिंग की आवाज सुनकर लोगों को समझते देर नहीं लगी की यह हैवी ब्लास्टिंग का प्रभाव है। पहली हैवी ब्लास्टिंग 2:04 और दूसरी 2:08 पर हुई। इसी तरह तीसरी ब्लास्टिंग 2:10 और चौथी ब्लास्टिंग 2:18 पर ताबड़तोड़ हुई। इसके पश्चात 2:36 पर फिर से हैवी ब्लास्टिंग हुई।ऐसी ब्लास्टिंग हुई की कलेक्ट्रेट में बाहर खड़े लोग बोलने वालों की यह कैसी ब्लास्टिंग है।
लगाम कसने में लापरवाह प्रशासन
कंपनियों के जिम्मेदारों की माने तो हैवी ब्लास्टिंग को वह नॉर्मल समझते हैं अधिकारी कहते हैं कि ब्लास्टिंग ई- डेटोनेटर विधि से किया जाता है। कोयला खदानो में हमेशा एसओपी, नियमावली, केस स्टडीज, रिस्क मिटिगेशन को लेकर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके बावजूद नियमों के विपरीत हैवी प्लास्टिक की जा रही है। जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी ब्लास्टिंग के क्या नियम है और किस तरह ब्लास्टिंग होनी चाहिए की आम जनता को नुकसान न हो। सभी नियमों कायदों को शायद जिला प्रशासन के अधिकारी भी भूल गए हैं। तभी तो आम जनता परेशान है और कंपनी हैवी ब्लास्टिंग कर अधिक से अधिक कोयला निकालने में लगी हुई हैं।