सरई 17 मार्च। जिला मुख्यालय से महज 50 किलोमीटर की दूरी पर गजरा बहरा कोलयार्ड के से लगा हुआ प्राथमिक स्कूल संचालित है जहां के बच्चे स्कूल के समय से लेकर छुट्टी होने तक कोयला का डस्ट खाते हैं। स्कूल ड्रेस एक दिन पहनने के बाद धोना ही पड़ता हैं। बताया जा रहा है कि कोयला यार्ड से महज 50 मीटर की दूरी पर प्राथमिक स्कूल संचालित है। लगभग कई वर्षो से लगातार चल रही है।
आलम यह है कि आसपास के गांव के आदिवासी एवं गरीब बच्चे रोज सुबह 10:30 बजे स्कूल पढ़ने आते घर से साफ सुथरा वस्त्र पहनकर कर स्कूल आते हैं और स्कूल से 4 जब घर जाते हैं। तो कपड़े इतने गंदे और काले होकर घर पहुंचते हैं। इन सब का कारण बगल में कोलयार्ड स्थापित है। जहां लगातार कोयले के धूल व प्रदूषण से बच्चों एवं शिक्षकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जबकि वही कई बार विद्यालय के शिक्षक लिखित आवेदन सिंगरौली कलेक्टर व डीईओ को दे चुके हैं, लेकिन किसी भी प्रकार का आज तक प्रशासनिक अधिकारी व कंपनी प्रबंधन इसका हल नही ढूंढ सका है।
वही ग्रामीणों ने कहा स्कूल तो बहुत दिनों से यहां पर संचालित है और लग रहा है स्कूल की परवाह न करते हुए कंपनी प्रबंधन द्वारा जबरन यहां पर कोलयार्ड बना दिया गया। जिसका खामियाजा आज हम ग्रामीण व हमारे बच्चों को भुगतना पड़ रहा है। हम क्या करें साहब हम जो गरीब हैं गरीबों का जीने का हक नही है। गरीबों का शोषण करना बड़े लोगों का अधिकार है। हमारा कोई अधिकार नही है। हमारे जीने और मरने से प्रशासन को कोई फर्क नही पड़ने वाला।
कंपनी प्रबंधन 4 -5 सालों से लगातार कोयले का परिवहन सड़क के जरिए कर रहा है। जिससे पूरा वातावरण प्रदूषण व जहरीला हो चुका है। शिक्षकों और बच्चों का प्रदूषण से जीना मुश्किल हो गया है। बताया जा रहा है कि गजराबहरा कोलयार्ड अदाणी कंपनी ठेका का काम कर रही मां तारा कांस्ट्रक्शन कंपनी की लापरवाही है। ग्रामीणों ने प्रशासन पर उक्त कोलयार्ड कम्पनी को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए क्षेत्रिय जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल खड़े कर रहें हैं। वहीं प्रदेश एवं केन्द्र सरकार के पॉल्यूशन किए हुए कोयला उत्खनन के दावों की भी पोल खोल रहा है।