सिंगरौली : मुख्यमंत्री मोहन यादव भले ही किसानों की सुविधा और लंबित प्रकरणों का निराकरण के लिए समय सीमा निर्धारित की है लेकिन जिले के जिम्मेदार तय समय सीमा के भीतर प्रकरणों का निराकरण नहीं कर रहे।
अधिकारी कोई ना कोई वजह बता कर तब तक निराकरण नहीं करते जब तक कि उनके मन मुताबिक रिश्वत नहीं मिल जाता। ऐसा ही एक मामला आज जनसुनवाई में देखने को मिला। जहां बसौंडा गांव से आए एक फरियादी ने कलेक्टर से नायब तहसीलदार पर 65 हजार रिश्वत देने के बाद भी बटबारा नहीं करने का आरोप लगाया। शिकायत के बाद कलेक्टर ने एसडीएम सृजन वर्मा को जांच के आदेश दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार बसोड़ा गांव निवासी राम गोपाल पाल अपनी जमीन के बंटवारे के लिए 1 साल से तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहा है अब परेशान होकर वह कलेक्टर से जनसुनवाई में शिकायत की है। पीड़ित ने बताया कि बसौड़ा गांव में सहखाते की जमीन है। सभी सह खातेदारों की सहमति से एक साल पूर्व माड़ा तहसील में बटवारा के लिए आवेदन किया गया। बटवारा के लिए फरियादी किसान 1 साल से माड़ा तहसील के चक्कर काट रहा है, लेकिन अब तक उसकी सुनवाई नहीं हुई।
65 हजार रिश्वत लेने के बाद नहीं कर रहे बटवारा
पीड़ित ने बताया कि नायब तहसीलदार बुद्धसेन माझी को बटवारे के आदेश के लिए 45 हजार रूपए रामगोपाल के द्वारा दिया गया जबकि नायब तहसीलदार के डाइवर मतीन को भइया रामपाल के द्वारा 20 हजार रूपए दिए गए। रिश्वत की रकम तहसीलदार के गनियारी आवास में दिया गया। लेकिन कल 65 हजार रुपए लेने के बाद भी नायक तहसीलदार टालमटोल कर रहे हैं। शिकायत मिलने के बाद कलेक्टर चंद्रशेखर शुक्ला ने एसडीएम सृजन वर्मा को जांच के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर ने कहा कि किसी कीमत पर रिश्वतखोर कर्मचारी बचना नहीं चाहिए।
खारिज कर दूंगा तो डूब जाएगा पैसा
पीड़ित ने कलेक्टर को दिए शिकायती पत्र में लिखा है कि नायब तहसीलदार बटवारा आदेश करने में एक साल लगा दिये। जब बटवारा के लिए बोलता हूं तो उनके द्वारा कहा जाता है कि जब समय मिलेगा तो हम तुम्हारे जमीन का बटवारा का आदेश करेंगे। यदि तुम हमको बार-बार बोलोगे तो हम तुम्हारा प्रकरण खारिज कर देंगे तो तुम्हारा पैसा भी डूब जायेगा। नायब तहसीलदार पीड़ित को यहां तक धमकाते हैं कि तुम्हें जहां शिकायत करना है कर लो।