सिंगरौली : अदानी कंपनी में कोल ट्रांसपोर्ट का काम कर रही एक निजी कंपनी मजदूरों सहित ड्राइवरों से आठ घंटे के बजाए 12 घंटे तक काम ले रही हैं। कोयला ट्रांसपोर्ट होने वाले कार्यों में शोषण इतना अधिक है कि ठेका मजदूरों को 400-500 रुपए वेतन दिया जा रहा है। वही पर ट्रिप पर बोनस देने का ड्राइवर को लालच दिया जाता है जिसके चलते आए दिन सड़क हादसे हो रहे हैं। कोयला ट्रांसपोर्टर श्रम कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
मिली जानकारी के अनुसार अडानी कंपनी में वैराशिटी कोल ट्रांसपोर्टर कोयल का ट्रांसपोर्ट करती है। सूत्र बताते हैं कि कंपनी के पास करीब 300 गाड़ियों से कोयल का परिवहन किया जाता है। ट्रांसपोर्टर ड्राइवरों से 8 घंटे काम लेने के बजाय 12 घंटे काम कराया जा रहा है। साथ ही ड्राइवर को कम वेतन देने की बात सामने आ रही है। ड्राइवर के शोषण होने की शिकायत के बाद भी प्रशासन गंभीरता सिंह नहीं लेता।
बताया जा रहा है कि कोल ट्रांसपोर्टिंग करने वाली कंपनियां ड्राइवर को कम सैलरी देते हैं हालांकि ज्यादा ट्रिप लगाने पर बोनस का लालच दिया जाता है ताकि ड्राइवर अधिक फेरे लगाएं। वहीं अधिक फेरे लगाने के चक्कर में ड्राइवर न केवल कोल वाहनों को तेज स्पीड से चलाते हैं बल्कि थकान और नींद आने के बाद भी एक दो चक्कर लगाने अपनी जान जोखिम में भी डालते हैं। जिससे आए दिन सड़क हादसे भी हो रहे हैं।
ड्राइवर को नहीं मिलता पीएफ
कोयला खान भविष्य निधि संगठन के पास खान निरीक्षकों की कमी है। इस कारण कोयला खदानों में पहुंचकर निरीक्षक यह पड़ताल नहीं करता है कि आउटसोर्सिंग की कंपनियों में संविदा मजदूरों की संख्या कितनी है? इन मजदूरों को रोजाना कितना रुपए मजदूरी मिल रहा है? इन्हें भविष्य निधि संगठन का सदस्य बनाया गया है या नहीं? अगर हां तो उनका पीएफ नंबर कितना है? और उनके भविष्य निधि में खाते में राशि जमा हो रही है या नहीं।
श्रम कानून की उड़ा रहे धज्जियां
कोयला उद्योग में ठेका मजदूरों की स्थिति को लेकर हाल में ही एक रिपोर्ट आई है। इसमें बताया है कि अलग- अलग कोयला खदानों में काम करने वाले लगभग 65 फीसदी संविदा मजदूरों को कोल इंडिया की सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। ड्राइवर को ना तो साप्ताहिक छुट्टियां मिल रही और ना ही पीएफ काटा जा रहा। श्रम विभाग के आदेश के बाद भी श्रम कानून के विपरीत अधिक समय तक ड्यूटी करने के लिए मजबूर किया जा रहा।